हे गिरिजा पुत्र भगवान श्री गणेश आपकी जय हो। आप मंगलकारी हैं, विद्वता के दाता हैं, अयोध्यादास की प्रार्थना है प्रभु कि आप ऐसा वरदान दें जिससे सारे भय समाप्त हो जांए।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला। जरत सुरासुर भए विहाला॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै। भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
पाठ करे सो पावन हारी ॥ पुत्र हीन कर shiv chalisa in hindi इच्छा जोई ।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
O Lord, the beloved daughter of Maina with your remaining adds to the splendid visual appearance. O Wearer of the lion's skin, the trishul as part of your hand destroys all Shiv chaisa enemies.
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
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